Monday, March 11, 2019

नंग नौटंकी का नया सीन


पुलवामा के बाद देशभक्ति का शोर मचाकर और ''बदला-बदला', 'एक-एक को चुनकर मारूँगा', 'घुसकर मारूँगा' आदि-आदि चिल्लाते हुए और वीर रस की सड़क छाप तुकबंदी सुनाते हुए, उतरी हुई चड्ढी उसने फिर से चढ़ा ली थी ! पर आज 'हिन्दू' अखबार में सात कालम का एक और लेख लिखकर एन. राम ने फिर से चड्ढी खींच दी I चौकीदार जो कि चोर था, फिर नंगा हो गया ! एन. राम ने सवाल उठाया है कि सौदे से बैंक गारंटी की शर्त क्यों हटाई गयी जबकि इसका सीधा मतलब है, ज्यादा मँहगे दामों पर रफाएल खरीदना ! यह किसको लाभ पहुँचाने के लिए किया गया ?

अब इन बेशर्म नंगों की नंगई की नयी ऊँचाई देखिये ! सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने बेंच को बताया कि रफाएल से सम्बंधित फाइलें रक्षा मंत्रालय से चोरी हो गयी हैं, अतः वे उन्हें पेश कर पाने में असमर्थ हैं ( अब लगे हाथों आप यह भी याद कर लीजिये कि कितने विवादास्पद मामलों की फाइलों अबतक मंत्रालयों में या तो रहस्यमय ढंग से आग लग चुकी है या वे चोरी हो चुकी हैं ) I जनाब अटॉर्नी जनरल साब यहीं नहीं रुके ! उन्होंने यह भी इंगित किया कि 'हिन्दू' में प्रकाशित रिपोर्ट उन्हीं चोरी गई फाइलों पर आधारित हैं ! यानी फाइलों की चोरी एन. राम ने करवाई ! चलो, थोड़ी देर के लिए यह मान भी लें, तो यह भी तो मानना पड़ेगा कि उन फाइलों पर आधारित 'हिन्दू' की रिपोर्ट सत्य है ! गजब बौड़म वकील है भाई ! दूसरे पर गू फेंकने की कोशिश में अपने ही हाथों में गू लभेर लिया ! उधर एन. राम ने भी चैलेंज कर दिया है,' कोई भी ताक़त उन्हें स्रोत बताने के लिए मज़बूर नहीं कर सकती !'

जब प्रशांत भूषण ने 'हिन्दू' में आज छपी रिपोर्ट कोर्ट में पढ़ने की कोशिश की तो वेणुगोपाल ने यह कहकर उसका विरोध किया कि 'हिन्दू' की यह रिपोर्ट चुराए गए डाक्यूमेंट्स पर आधारित है और सुनवाई के बीच इसका प्रकाशन कोर्ट को प्रभावित करने की कोशिश है, अतः यह कोर्ट की अवमानना है ! लेकिन गौरतलब बात यह है कि मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने भी यह कह दिया कि जो सामग्री मुख्य केस में बेंच के समक्ष पहले से ही विचारार्थ मौजूद है, उसके अतिरिक्त बाद में प्रस्तुत किसी दस्तावेज़ या पूरक एफिडेविट का संज्ञान नहीं लिया जाएगा ! सवाल है कि क्यों नहीं लिया जाएगा ? ऐसे मामलों में तो सुप्रीम कोर्ट को तमाम तथ्यों को, अगर कोई कोर्ट में प्रस्तुत न करे, तो भी, स्वतः संज्ञान में लेना चाहिए ! ऐसा होता भी रहा है !

माननीय न्यायमूर्ति ! डाक्यूमेंट्स 'हिन्दू' वालों ने चुराए या नहीं, उसपर आप कोई विशेष जाँच बैठा देते, पर बकौल वेणुगोपाल, अगर 'हिन्दू' की रिपोर्ट उन्ही दस्तावेजों पर आधारित है, तब तो उन्हें सही मानकर आपको इस सरकार के ख़िलाफ़ निर्णय पर पहुँचने में कोई देर होनी ही नहीं चाहिए !

न्याय का इससे बड़ा मखौल क्या हो सकता है कि जिन तथ्यों पर कोर्ट फैसला दे रहा है, वे उसे सरकार ने बंद लिफ़ाफ़े में सौंपे थे और जो तथ्य डंके की चोट पर, चुनौती के साथ, खुल्लमखुल्ला अखबार में धारावाहिक छप रहे हैं, कोर्ट उन्हें संज्ञान में लेने के लिए तैयार ही नहीं है !

लेकिन भई, जो भी हो, एक बात है, यह प्रधान सेवक और चौकीदार जब खुद अपने गिरोह सहित नंगा हो रहा है तो पूरे बुर्जुआ सिस्टम के पजामे का नाड़ा खींच रहा है ! इसके इस "महान अवदान" को तो स्वीकार करना ही पड़ेगा ! मुझे तो अवकाशप्राप्त न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू का वह आरोप भी अनायास ही, बेसाख्ता याद आ रहा है ! अरे वही सौदे वाली बात जो बकौल काटजू साब, मुख्य न्यायाधीश बनने के पहले मोदी और गोगोई के बीच हो गया था ! अब काटजू साब ने ऐसा कहा था, सच क्या है, राम जाने !

अब लगे हाथों आज की यह खबर भी जान लीजिये ! उधर जब सभी देशभक्ति के जुनून में डूबे हुए थे, तब पूँजीपतियों के कमीशन एजेंटों के इस गिरोह ने देश के पाँच हवाई अड्डे अदानी को सौंपने के बाद आज चारबाग, चंडीगढ़, हरिद्वार और अमृतसर सहित उत्तर रेलवे के पाँच ऐतिहासिक स्टेशनों को भी 99 वर्षों की लीज पर पूँजीपतियों को सौंपने का निर्णय किया है ! खबर है कि जल्दी ही कई और स्टेशनों की बारी आने वाली है ! आप कविता सुनते रहिये,'मैं देश नहीं बिकने दूँगा... वगैरा-वगैरा ... और बोलिए, भा मा की जै...

#मोदी_है_तो_मुमकिन_है

(6मार्च, 2019)

No comments:

Post a Comment