Saturday, March 09, 2019



आपको ऐसे बहुतेरे मध्यवर्गीय सहृदय, दयालु, न्यायप्रिय भद्रपुरुष मिलेंगे, जो लाचारों, कातरों, दयनीयों पर थोक भाव से दया करते हैं और करुणा-सहानुभूति की बारिश कर देते हैं I आजकल के उन मज़दूरों पर बहुत कोशिश करके भी उनके भीतर दया की भावना उमड़ती ही नहीं, जो ज़्यादातर युवा होते हैं, बेहद अभावों-परेशानियों में जीते हुए भी दयनीय और लाचार नहीं दीखते, उनकी रीढ़ की हड्डी कमानी की तरह झुकी नहीं होती, वे आँखों में आँखें डालकर बात करते हैं और अपनी शिकायतें साफ़ शब्दों में बयान करते हैं, तथा, गरीबी के बाद भी वे फटेहाल नहीं रहते, साफ़-सुथरे ढंग से, सलीके और फैशन से रहते हैं I मध्यवर्गीय भलेमानस लोग गरीब मेहनतकशों में स्वाभिमान और ख़ुद्दारी नहीं, बल्कि दयनीयता, फटेहाली और लाचारी देखना पसंद करते हैं ! उन्हें दया करने के लिए दयनीय तुच्छ प्राणियों की तलाश रहती है ! बराबरी, स्वाभिमान, लड़ाकूपन आदि से उन्हें तब बहुत चिढ मचती है, जब ये चीज़ें उन्हें उत्पीड़ित लोगों में दीखती हैं ! ऐसे भलेमानस अन्यायपूर्ण व्यवस्था के महत्वपूर्ण खम्भे होते हैं !

(10मार्च, 2019)



***



No comments:

Post a Comment