Friday, March 08, 2019

जर्मनी 1945


(गत 28 फरवरी को मैंने बेर्टोल्ट ब्रेष्ट की आठ छोटी कविताएँ शेयर की थीं जो उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के ठीक पहले लिखी थीं जब पूरा जर्मनी नात्सियों द्वारा भड़काए गए युद्धोन्माद के नशे में डूबा हुआ था ! ब्रेष्ट ने अपनी निम्नलिखित कविता 1945 में युद्ध की समाप्ति के बाद लिखी थी जब पूरे यूरोप और सोवियत संघ पर तबाही का कहर बरपा करने के बाद जर्मनी भी युद्ध में पराजित और पूरी तरह से बर्बाद हो चुका था I युद्धोन्मादी अंधराष्ट्रवाद और फासिस्ट बर्बरता के नतीजे भुगतने के बाद, जर्मनी इस ऐतिहासिक अपराध-बोध में डूबा हुआ था कि वह नात्सियों द्वारा भड़काए गए जुनून में बह गया था जिसकी कीमत पूरी मनुष्यता ने चुकाई ! ब्रेष्ट की यह कविता इसी माहौल और मनःस्थिति को अभिव्यक्त करती है !)

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जर्मनी 1945
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घरों के भीतर प्लेग से मौत है
घरों के बाहर ठण्ड से मौत है
तब हमारा ठिकाना कहाँ हो ?

सुअरी ने हग डाला है अपने बिस्तर पर
सुअरी मेरी माँ है, मैंने कहा :
ओ मेरी माँ, ओ मेरी माँ,
तुमने यह क्या कर डाला मेरे साथ ?
-- बेर्टोल्ट ब्रेष्ट
(अनुवाद : मोहन थपलियाल)

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