Friday, January 18, 2019

एक सज्जन और कायर बुद्धिजीवी मित्र से दो बातें

एक सज्जन और कायर बुद्धिजीवी मित्र से दो बातें

इतना डरते क्यों हो भाई !

दुखों के क़रीब जाने से मर नहीं जाओगे I

तक़लीफदेह जीवन न तुम्हारा अंत कर सकता है

न ही यातना गृहों की यंत्रणा I

तुम्हारे अंत की शुरुआत

तुम्हारे भय से होती है I

तुम्हारा कारागृह है

तुम्हारा शांत, सुरम्य, सुरक्षित, सभ्य-शालीन नागरिक जीवन I

तुम्हारे समझौते हैं

तुम्हारी गुलामी के ज़िंदा दस्तावेज़ I

और फिर मौत से इतना डरते क्यों हो यार !

ऐसे जीकर भी कौन सा तीर मार लिया ?

हासिल क्या कर लिया ?

-- कद्दू !

और बनकर क्या रह गए ?

-- पद्दू !

(16जनवरी, 2019)

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