Sunday, December 02, 2018


एक बात है ! अपने घृणित-बर्बर कुकृत्यों से क्रोध, तनाव और चिंता पैदा करने के साथ ही फासिस्ट अपने "ज्ञान" और "विवेक" के प्रदर्शन से हँसाते भी इतना हैं बीच-बीच में कि दम फूल जाये I 'एंटायर पोलिटिकल साइंस' वाला गंजेड़िया अपने इतिहास-ज्ञान से बहुत मनोरंजन कर रहा था, फिर उसका रिकॉर्ड तोड़ने वह त्रिपुरा का चवन्नी छाप आ गया ! और अब गोरखपुर का कनफटा गुंडा मैदान में है ! उसने तो गजब ही कर दिया ! तो जान लो भाई लोगो, हनुमान जी दलित थे ! पर सवाल अभी भी जस का तस है ! कौन दलित --- चूड़ा, जाटव, चमार, महार, दुसाध, डोम, माला, मादिगा ... सैकड़ों दलित जातियाँ हैं ! हर दलित जाति को एक देवता माँगता I पर चिंता की बात नहीं I 33 करोड़ में से डेढ़-दो सौ ज्ञात देवी देवताओं को छाँट लिया जाये तो भैरव, काली, संतोषी माता, जिउतिया माता,छठी माता आदि को अन्य दलित जातियों को अलॉट किया जा सकता है I मध्य जातियों के लिए भी लिस्ट बनाकर देवता अलॉट करने पड़ेंगे ! शिव हो जायेंगे अनुसूचित जनजातियों के देवता, पर वहाँ भी कई अनुसूचित जातियों में रार मच सकता है I ब्रह्मा (मिसिर/पांडे/सुकुल/आदि) हो गए बाम्हनों के, सिरीराम (सिंह) ठाकुरों के, किसुनजी (यादव) अहीरों के, विश्वकर्मा बढइयों-लुहारों-कुम्हारों के और चित्रगुप्त कायस्थों के पहले से ही हैं I हाँ, उस लम्पट इंद्र को कौन लेगा, जो जिस-तिस ऋषि के घर में घुसकर ऋषि-पत्नियों की इज्ज़त बिगाड़ता रहता है ! कामदेव की जाति क्या थी, और अग्नि,वरुण, मरुत, अश्विनी कुमारों आदि की ? मंडल कमीशन तो क्या, संविधान सभा से भी बड़ा कोई आयोग बनाना होगा और उसकी सहायता के लिए कई शोध समितियाँ, सर्वेक्षण टीमें आदि बनानी पड़ेंगी, फिर धर्म संसद के कई सत्र बुलाने पड़ेंगे ! एक बार यह महान कार्य संपन्न हो जाए, फिर देखना हमारे प्यारे भारतवर्ष की तरक्की की रफ़्तार ! हाँ नहीं तो !

हा...हा ...हा...हा...हा...हा...हा...हा...हा...हा...हा...हा...हा...हा...हा...हा...हा...हा...हा...हा...हा...हा...हा...हा...हा...हा... ... ... बाप रे बाप ...पेट फूल गया !

ताज्जुब है कि बहुतेरे पढ़े-लिखे गधों का फिर भी हिंदुत्व की इस विदूषकीय राजनीति से मोहभंग नहीं होता !

हिटलर-मुसोलिनी ऐतिहासिक-राजनीतिक ईडियट थे, पर इतने सर्वांगीण ईडियट फासिस्ट तो भारत में, और खासकर हिन्दू धर्म में ही पैदा हो सकते थे !
इतिहास को जब पीछे की और ठेला जाएगा तो सारे ज्ञान-विज्ञान को कूड़ेदान में फेंककर मूर्खता और चपंडुकपना के अन्धकार युग की ओर ही तो जाना होगा !

(29नवम्‍बर,2018)

No comments:

Post a Comment