Monday, November 26, 2018

मेरा नाम अपनी मित्र-सूची से काट दें, भाई !


मेरा नाम अपनी मित्र-सूची से काट दें, भाई !

माफ़ करें भाई ! मैं आपकी पार्टी में कल नहीं आ सकती I

तीन-चार घंटे यूँ ही दांत चियारने और बिलावजह खें-खें-खें-खें करते रहने से

जबड़े दर्द करने लगते हैं और दो दिनों तक

अपनी ही शक्ल बकाटू जैसी लगती रहती है I

और फिर मेरे पास सुनाने के लिए संता-बंता टाइप कोई चुटकुला होना तो दूर

उन्हें सुनकर मुझे मतली आने लगती है I

ठिठोली मुझे आती नहीं और ऐसी महफिलों में स्त्रियों से जिन नखरों

और अदाओं की अपेक्षा की जाती है उनसे मुझे घिन आती है I

*

मेरी असामाजिकता के लिए मुझे माफ़ करें मेरे भाई !

उन्माद और आतंक और हत्याओं की जब बाहर बारिश हो रही हो

तो 'आर्ट ऑफ़ लिविंग' और विपश्यना और सूफी संगीत के बारे में

घंटों बातें करना और ठिठोलियाँ करना

और बस यूँ ही चेमगोइयाँ करना

मुझे हद दरज़े तक फूहड़ और अश्लील लगता है I

*

ऐसा नहीं कि मेरे पास कुछ अच्छे सपनों

और ख़ुशगवार मौसम और

प्यार के बारे में कुछ बातें नहीं हैं,

पर इनपर मैं आपलोगों की तरह न सोच पाती हूँ

और न बातें कर पाती हूँ स्कॉच की चुस्कियों के साथ !

इनपर बात करने से पहले मैं आपकी संभ्रांत, प्रबुद्ध, सेक्युलर

और प्रगतिशील होने का दावा करने वाली मंडली में

सडकों पर क़ब्ज़ा जमाये हत्यारे यथार्थ और मनुष्यता के

दुस्वप्नों के बारे में कुछ बातें करना चाहती हूँ

पर इससे आपकी पार्टी बदमज़ा हो जायेगी, मैं जानती हूँ I

*

ब्रेष्ट ने कहा था,'वह जो हँस रहा है

उसतक बुरी खबर अभी पहुँची नहीं है !'

लेकिन जो बेहद बुरी खबरों के बीच भी अपने लिए

तनाव-मुक्ति और आनंद के कुछ क्षण खोज रहे हैं

वे या तो जलते हुए जहाज़ पर जश्न मना रहे पागल हैं,

या फिर हत्यारों से उनकी कोई साठगाँठ है

या फिर वक़्त आने पर वे उनके चरणों में लोट जाने के लिए तैयार हैं !

*

आप कहते हैं,'बीच-बीच में कुछ तनाव ढीला कर लेना

और गम गलत कर लेना भी ज़रूरी होता है !'

मानती हूँ भाई, पर मैं यह काम

कहीं जंगलों-पहाड़ों-रेगिस्तानों में भटकते हुए,

या कहीं समुद्र-तट पर लेटे हुए अपना मनपसंद

संगीत सुनते हुए करती हूँ,

जब भी कोई मौक़ा हाथ आता है I

समृद्धि, सुविधा और सुरक्षा के बीमार नीम-अँधेरे में

कामुकता और छद्म-बौद्धिकता के नशे की ख़ुराक पर जीने वाले

खोखले और अकेले लोगों के बीच

मुखौटे लगाकर किसी फंतासी में जीने का

और खुश होने का गंदा खेल

मेरे लिए असहनीय होता है !

*

आप बुरा न मानकर मेरी मज़बूरी समझिएगा

मेरी साफ़गोई के लिए मुझे माफ़ कीजियेगा

और आगे से अपनी महफिलों में मुझे

आमंत्रित मत कीजियेगा !

**--**

(24नवम्‍बर,2018)

No comments:

Post a Comment