Thursday, October 11, 2018

'मिथ्या चेतना' ....




मिथकों की विज्ञानसम्‍मत ऐतिहासिक व्‍याख्‍या की जानी चाहिए, न कि उनके बरक्‍स प्रति-मिथकों का निर्माण !

इसीतरह, उत्पीड़ित मुक्तिकामी जन अगर मिथ्या आशावाद और सरल समाधान अर्जित करने के लिए ऐतिहासिक तथ्यों को गढ़ते हैं, तो वे एक 'मिथ्या चेतना' का निर्माण करते हैं, और 'मिथ्या चेतना' तात्कालिक राहत दे सकती है, वास्तविक समाधान नहीं ! इतिहास के वस्तुगत यथार्थ की अलग-अलग वर्ग-अवस्थितियों से अलग-अलग व्याख्याएँ हो सकती हैं, पर बीते हुए समय के वस्तुगत यथार्थ को मनमाने ढंग से तोड़ने-मरोड़ने से भविष्य के वस्तुगत यथार्थ के निर्माण में कोई मदद नहीं मिलती, बल्कि उस काम में अड़चन ही आती है !

मुक्तिकामी जनों को इतिहास की वैज्ञानिक व्याख्या की ज़रूरत होती है, न कि सस्ती लोकरंजक व्याख्याओं की, या मनोनुकूल मनगढ़ंत इतिहास की !

(11अक्टूबर, 2018)

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