Friday, October 05, 2018


जज लोया की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत। सुप्रीम कोर्ट से भी न्याय नहीं। आतंकित रिश्तेदार भी चुप्पी साध गए !
एक एक करके गवाहों सहित व्यापम मामले से जुड़े 70-80 लोगों की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत ! मामले को उठाने वाले की जान लेने की कई कोशिशें I
मुजफ्फरपुर बालिका संरक्षण गृह कांड की मुख्य गवाह का पता नहीं !
आसाराम कांड के गवाहों पर 9 हमले और तीन क़त्ल !
फासिस्ट उन्मादियों की भीड़ द्वारा पहलू खान की हत्या के मामले में गवाही देने से रोकने के लिए गवाहों पर फायरिंग !
अलीगढ़ में फ़र्जी एनकाउंटर में मारे गए नौशाद और मुस्तकीम की माँ शबाना ने दिल्ली प्रेस क्लब में आकर प्रेस के सामने इन्साफ की फ़रियाद की, पर मीडिया ने कोई सुध नहीं लीI उलटे अलीगढ़ में उमर खालिद पर उन्हीं शबाना के अपहरण की ऍफ़.आई.आर. दर्ज की गयी I
भीमा कोरेगांव मामले में इन्साफ का जो मखौल उड़ा, वह पूरी दुनिया ने देखा I
उत्तर प्रदेश में जुर्म ख़तम करने के नाम पर लोग सड़कों पर गोली से उड़ाए जा रहे हैं ! इस चक्कर में जब विवेक तिवारी भी आ गए तो काफी शोर मचा और प्रशासन भी डैमेज कण्ट्रोल में लग गया, लेकिन आम ग़रीब आबादी-- विशेषकर अल्पसंख्यकों के साथ तो यह वीभत्स खेल लगातार जारी है !
क्या अब भी आपको इस देश की न्याय-व्यवस्था पर यकीन है ? क्या अभी भी आप "दुनिया के सबसे बड़े जनतंत्र" का गुण गाते हुए मतवाले हो रहे हैं ? क्या अभी भी आपको लगता है कि अभी फासीवाद आया नहीं है, बल्कि आने का खतरा है ? अगर हाँ ! तो जनाब, अपने दिमाग़ का इलाज करवाइए ! वैसे ऐसे वहम का इलाज तो हकीम लुकमान के पास भी नहीं होगा ! हाँ, जब बर्बर उन्मादी फासिस्ट आपके घरों का रुख करें, या आपके बच्चे सामाजिक अराजकता या पूँजीवादी संकट की बलि चढ़ें, तो पें-पें मत कीजिएगा ! तबतक सोइए चादर तानकर, या फेंकुवा जो लम्बी-लम्बी फेंक रहा है, उसे लपकते हुए इस बात पर मस्त रहिये कि हमारा देश अतीत में कितना महान था और अब फेंकुवा उसे उतना ही महान बनाकर ही मानेगा !
(1अक्‍टूबर,2018)

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