Sunday, August 05, 2018

जब चारो ओर अहर्निश हत्या...


जब चारो ओर अहर्निश हत्या, आतंक और उन्माद की बारिश हो रही हो, तुम निश्चिन्त, असम्पृक्त, अपने एकांत में बैठे प्यार कर सकते हो और प्यार की "निष्कलुष" कविताएँ रच सकते हो ? अगर हाँ, तो तुम या तो एक कसाई हो, या फिर अपने भविष्य से अनजान, आने वाली सुबह ज़िबह हो जाने वाला बकरा !

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नहीं दोस्त ! मैं प्यार की दुश्मन नहीं हूँ ! मेरा दिल प्यार से लबरेज़ है ! प्यार न्याय के लिए जीवन-मरण के युद्ध के बीच भी हो सकता है और क़ैद-तनहाई में भी, और फाँसी की काल-कोठरी में भी , और मृत्यु-शैय्या पर भी, बशर्ते कि तुम एक सच्चे कम्युनिस्ट योद्धा हो, अपनी आत्मा के पोर-पोर से !
(27जुलाई,2018)

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पॉलिटिक्स को रोमैन्टिसाइज़ मत करो !

रोमांस को भी निरपेक्षतः रोमैन्टिसाइज़ मत करो ! उसे पोलिटिसाइज़ करो !

प्यार करना देश-काल से मुक्त नहीं होता I प्यार देश-काल-बद्ध होता है I देश-काल की स्थिति पॉलिटिक्स से तय होती है I

इसलिए, प्यार करना एक 'पोलिटिकल ऐक्ट' है !

(28जुलाई,2018)

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