Sunday, August 05, 2018


अब क्रांति में ही देश का उद्धार है, ऐसी क्रांति जो सर्वव्यापक हो, जो जीवन के मिथ्या आदर्शों का, झूठे सिद्धांतों और परिपाटियों का अंत कर दे। जो एक नए युग की प्रवर्तक हो, एक नई सृष्टि खङी कर दे, जो मनुष्य को धन और धर्म के आधार पर टिकने वाले राज्य के पंजे से मुक्त कर दे।
-- प्रेमचंद

No comments:

Post a Comment