देर रात के राग
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Sunday, August 05, 2018
यह शर्मनाक हादसा हमारे ही साथ होना था
कि दुनिया के सबसे पवित्र शब्दों ने
बन जाना था सिंहासन का खड़ाऊँ
मार्क्स का सिंह जैसा सिर
दिल्ली की भूल-भुलैया में मिमियाता फिरता
हमें ही देखना था
मेरे यारो, यह कुफ़्र हमारे ही समयों में होना था I
--- पाश
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