Sunday, August 05, 2018

1914 में आज ही के दिन जर्मन सामाजिक जनवादी पार्टी...


1914 में आज ही के दिन जर्मन सामाजिक जनवादी पार्टी के संसदीय ब्लॉक ने तय किया कि वह अगले दिन संसद में युद्ध ऋण के पक्ष में वोट करेगा I ऐसा करके उन्होंने सभी साम्राज्यवादी युद्धों का विरोध करने की स्थापित मार्क्सवादी नीति को तिलांजलि दे दी I लेनिन ने इन संसदीय वामपंथी कुकर्मियों और इनके नेता कार्ल काउत्स्की को मज़दूर आन्दोलन का गद्दार बताया और उनके विरुद्ध तीखा विचारधारात्मक संघर्ष चलाया I जर्मन पार्टी के अन्य शीर्ष नेता शार्ल लीबनेख्त और रोज़ा लक्जेमबर्ग भी काउत्स्की और उसके अनुयाइयों के ख़िलाफ़ थे I
यही काउत्स्की महोदय आज के सभी संसदीय जड़वामन कम्युनिस्टों और सोशल डेमोक्रेट्स के पितामह थे I इनके प्रपितामह बर्नस्टीन थे और आदरणीय पिताश्री ख्रुश्चेव जी थे I इन सबके एक चीनी चचा भी हुआ किये हैं, देंग सियाओ-पिंग, जिन्होंने "बाज़ार-समाजवाद" का सिद्धांत दिया था I बर्नस्टीन-काउत्स्की-ख्रुश्चेव-देंग के वंशज जितने भी संशोधनवादी, संसदमार्गी, अर्थवादी होते हैं, वे सभी बुर्जुआ राष्ट्रवाद और अंध-राष्ट्रवाद के आगे घुटने टेकते हैं I जो सर्वहारा क्रांति का रास्ता छोड़ता है, वह अनिवार्यतः सर्वहारा अंतरराष्ट्रीयतावाद के उसूलों को भी छोड़ देता है I
यही छद्म-कम्युनिस्ट हैं जिन्होंने 1920 और 1930 के दशक में मज़दूर वर्ग को संसदीय विभ्रमों में फँसाकर फासीवाद के विरुद्ध उसकी तैयारी को ढीला करने का काम किया था और फैसलाकुन घड़ियों में फासीवाद के सामने घुटने भी टेक दिए थे, हालाँकि फिर भी फासिस्टों ने इनको बख्शा नहीं था I आज के संशोधनवादी भी ऐसा ही आचरण कर रहे हैं हमारे देश में !
(3अगस्‍त,2018)

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