देर रात के राग
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Tuesday, May 08, 2018
भद्र आत्माओ !
तुम अपना प्यार वायलिन पर बजाते हो I
अशिष्ट लोग इसे बजाते हैं ड्रम्स पर उग्र तरीके से I
लेकिन क्या तुम खुद को पलट सकते हो भीतर से बाहर की ओर, मेरी तरह
और बन सकते हो बस दो होंठ पूरीतरह ?
-- व्लादिमिर मयाकोव्स्की
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