देर रात के राग
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डायरी के नोट्स : जो सोचती हूं उनमें से कुछ ही कहने की हिम्मत है और क्षमता भी
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मेरी कविताई: जीवन की धुनाई, विचारों की कताई, सपनों की बुनाई
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जीवनदृष्टि-इतिहासबोध
Friday, April 06, 2018
अपने को शिक्षित करो क्योंकि हमें तुम्हारी सारी बुद्धिमत्ता की ज़रूरत होगी I स्वयं को उद्वेलित करो क्योंकि हमें तुम्हारे समस्त उत्साह की ज़रूरत होगी I स्वयं को संगठित करो क्योंकि हमें तुम्हारी सारी शक्ति चाहिए होगी I
--- अन्तोनियो ग्राम्शी
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