Tuesday, March 13, 2018

हमसफ़रों के साथ गुफ़्तगू



हमसफ़रों के साथ गुफ़्तगू

जीना और पीना अपने पैमाने के हिसाब से ,
प्यार कभी आधे दिल से मत करना,
करना तो पूरे दिल से I
और हाँ, नफ़रत भी ऐसी ही की जानी चाहिए I
भूलने वाली चीज़ों को
एकदम भुला दिया जाना चाहिए
ताकि दिमाग में ज़रूरी स्मृतियों, शिक्षाओं, अनुभवों
और अहसासों के लिए
जगह बची रहे I
जो दिल से उतर जाये,
उसे फिर से बेल की तरह
उगाकर छज्जे नहीं चढ़ाना चाहिए I
लड़ाई कभी अधूरी मत छोड़ना,
अंत तक उसे लड़ना और अंजाम तक पहुँचाना I
या तो पूरी जीत या फिर पूरी हार,
या तो पूरा साथ, या फिर एक गर्वीला अकेलापन I
किसी भी पराजय या विफलता पर
ख़तम नहीं होती है यह दुनिया I
समुद्र में उतारना स्टीमबोट तो कहीं
पहुँचने के लिए, वापस लौटने का
ख़याल तक न हो दिल में I
सोचना इस विश्वास के साथ कि
नतीजे पर पहुँचकर ही दम लेंगे I
यूँ जीकर जब मरोगे तो पूरी शान्ति,
निश्चिन्तता के साथ, बिना किसी पछतावे के,अम्लान,
ज्यों पूरे कर लिए हों डायरी में दर्ज़ सारे काम
तसल्लीबख्श ढंग से,
भले ही हज़ारों काम और ख्वाहिशें रह गयी हों,
वे तो कमबख्त हमेशा रह ही जाती हैं I
जब तक जियो, जब भी यह
सवाल आये कि
कब करनी है फिर एक नयी शुरुआत,
ज़िंदा, गर्म और सदाबहार दिलों से
उत्तर बस यही मिले ---
आज और अभी !
___**___


-- कविता कृष्‍णपल्‍लवी 


 

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