Tuesday, March 13, 2018




द्वन्‍द्व
एक अमूर्त चित्र मुझे आकृष्‍ट कर रहा है।
एक अस्‍पष्‍ट दिशा मुझे खींच रहीं है।
एक निश्चित भविष्‍य समकालीन अनिश्‍चय को जन्‍म दे रहा है।
(या समकालीन अनिश्‍चय एक निश्चित भविष्‍य में ढल रहा है ?)
एक अनिश्‍चय मुझे निर्णायक बना रहा है।
एक अगम्‍भीर हंसी मुझे रुला रही है।
एक आत्‍यन्तिक दार्शनिकता मुझे हंसा रही है।
एक अवश करने वाला प्‍यार मुझे चिन्तित कर रहा है।
एक असमाप्‍त कथा मुझे जगा रही है।
एक अधूरा विचार मुझे जिला रहा है।
एक त्रासदी मुझे कुछ कहने से रोक रही है।
एक सहज ज़‍िन्‍दगी मुझे सबसे जटिल चीज़ों पर
सोचने के लिए मज़बूर कर रही है।
एक सरल राह मुझे सबसे कठिन यात्रा पर
लिये जा रही है।
--- शशि प्रकाश

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