Tuesday, February 27, 2018



वीरोचित ढंग से लड़ना बड़ी बात है ... लेकिन कितने ऐसे लोग हैं जो एक दिन के लिए नहीं,एक घंटे के लिए नहीं, बल्कि वर्षों की लम्बी, थकाऊ अवधि के दौरान, हर दिन वीरोचित बने रहेंगे ?

--एलीनोर मार्क्स ( यूरोपीय मज़दूर आन्दोलन की ख्यात नेत्री और कार्ल मार्क्स की पुत्री )
पेरिस कम्यून (1871) के 21 वर्षों बाद उसे याद करते हुए

No comments:

Post a Comment