Friday, February 09, 2018

मुझे बहुत आश्चर्य होता है.....




मुझे बहुत आश्चर्य होता है कि तमाम गंदे समझौतों, घृणास्पद दुनियादारियों-
चालाकियों, और अमानवीय लम्पटताओं के बाद भी कुछ कवि आम लोगों के जीवन, संघर्ष और स्वप्नों और प्यार को लेकर कवितायें कैसे लिख लेते हैं ? क्या उनकी आत्मा उन्हें धिक्कारती नहीं ? क्या उन्हें आत्मग्लानि नहीं होती ? वे इतना छद्म कैसे रच लेते हैं? क्या उन्हें आत्महत्या कर लेने को जी नहीं चाहता? कैसे इंसान हैं यार ! बड़े भयंकर हैं !

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