Tuesday, February 13, 2018

एक कवि अगर गुम होना चाहे

एक कवि अगर गुम होना चाहे
तो जगहों की कमी नहीं।
गुम हो सकता है जैसलमेर-बाड़मेर के रेगिस्तानों के किसी सुदूर गाँव में,
या केरल या ओडिशा के समुद्र-तट की किसी बस्ती में,
सरगुजा और जगदलपुर के जंगलों में,
उत्तर-पूर्व के वर्षा-वनों में,
या हिमाचल या उत्तराखंड के पहाड़ों-घाटियों में कहीं I
पर सबसे अच्छा है गुम हो जाना
रहस्यमय, अँधेरे गर्भ में ज्वालामुखियों को छिपाए
उस जन-समुद्र में
जो हर कवि का मूल निवास होता है
और जिसे वह भूल चुका है।

-- कविता कृष्‍णपल्‍लवी
(9 फरवरी, 2018)

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