Wednesday, February 14, 2018


कुछ ने
कुछ प्रेम किये एकतरफा,
कुछ को अधूरा छोड़ दिया,
कुछ से पीछे खींच लिये पैर
और उनके कुछ प्रेम बस
एक दीर्घ प्रतीक्षा बनकर रह गए ।
फिर भी उन्होंने
प्रेम की बेहतरीन कविताएँ लिखीं,
इस दुनिया में
प्रेम की हिफाज़त और बहाली के लिए
शानदार लड़ाइयाँ लड़ीं
और ज़िन्दगी से छककर प्यार किया ।
जिन्होंने ज़िन्दगी की
ज़रूरी लड़ाइयों से मुँह चुराया,
उनकी ओर पीठ कर दिया,
या उन्हें अधूरा छोड़ दिया,
वे प्रेम में पड़कर भी
कभी न कर सके प्रेम,
कभी न पा सके प्रेम,
अपरिचित रहे हमेशा
उस सौन्दर्यानुभूति से,
जिए एक भोगी प्रेत की तरह,
मरे एक भगोड़े सैनिक के अहसास के साथ
जिसपर गर्व नहीं था
किसी अपने को भी।

-- कविता कृष्‍णपल्‍लवी
14 फरवरी,2018

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