'अब हम आपस में कत्तई बातचीत नहीं कर सकते,' महाशय 'क' ने एक आदमी से कहा।
'क्यों'? उसने चौंकते हुए पूछा।
'मैं अपनी तर्क़संगत बात अब तुम्हारे सामने नहीं रख सकता।' महाशय 'क' ने लाचारी ज़ाहिर की।
'लेकिन इस बात से मुझ पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।' दूसरे ने तसल्ली ज़ाहिर की।
'मुझे पता है,' महाशय 'क' ने खीझते हुए कहा --'लेकिन मुझ पर इसका असर पड़ता है।'
-- बेर्टोल्ट ब्रेष्ट
(मोहन थपलियाल द्वारा हिन्दी में अनूदित)
'मुझे पता है,' महाशय 'क' ने खीझते हुए कहा --'लेकिन मुझ पर इसका असर पड़ता है।'
-- बेर्टोल्ट ब्रेष्ट
(मोहन थपलियाल द्वारा हिन्दी में अनूदित)
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