Tuesday, February 13, 2018

-- बेर्टोल्ट ब्रेष्ट के जन्मदिन (10 फरवरी,1898) के अवसर पर









 अगर जंगल पुलिस के लोगों से भरा हो तो पेड़ों के बारे में कविता नहीं लिखी जा सकती है।






यह कैसा समय है, जब पेड़ों के बारे में बात करना लगभग एक जुर्म है क्योंकि इसका मतलब बहुत सारी विभीषिकाओं के बारे में चुप रहना है ।






जो कमज़ोर होते हैं वे लड़ते नहीं।
जो उनसे अधिक मज़बूत होते हैं
वे लड़ सकते हैं घंटे भर के लिए।
जो और अधिक मज़बूत होते हैं , वे फिर भी
लड़ सकते हैं कई वर्षों तक।
सबसे अधिक मज़बूत लोग लड़ते हैं
अपनी पूरी ज़िंदगी।
वही हैं जो अपरिहार्य होते हैं।
सभी देशों की मेहनतक़श जनता के हित में, लेखकों को एक लड़ाकू यथार्थवाद को अपनाने के लिए ललकारा जाना चाहिए। एक समझौताहीन यथार्थवाद, जो सच्‍चाई पर, यानी शोषण उत्‍पीड़न पर पर्दा डालने के सभी प्रयासों से जूझेगा, केवल वही शोषण और उत्‍पीड़न की निन्‍दा कर उनकी कलई खोल सकता है।


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