देर रात के राग
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Tuesday, December 19, 2017
पुनर्नवा
जीवन के जनपद में
ज्वार की प्रतीक्षा है I
पूरी तैयारी है I
पूर्णिमा का चाँद
चढने दो I
विचारों को
पकने दो I
उमड़ता जनज्वार
विचारों को
समेट लेगा अपने भीतर I
खुद को,
विचारो को,
सबकुछ को नया कर जायेगा I
-- शशि प्रकाश
(अप्रैल, 1994)
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