Sunday, December 17, 2017

कविता का हिस्सा



दुःख
सरपत के जंगलों से एक यात्रा I
समझ हो तो
यह हवा का गुज़रना हो सकता है I
महज़ एक सरसराहट I
टीस तो फिर भी सुरक्षित रहेगी
कविता के लिए I

--- शशि प्रकाश
(15 अक्टूबर, 1997)

No comments:

Post a Comment