देर रात के राग
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Sunday, December 17, 2017
एक अहसास
दूर कहीं से सुन रहा हूँ
कोई शब्द-शब्द थाहकर
पढ़ रहा है मेरी कविता
और मैं मर रहा हूँ
स्मृतियों की नर्म गोद में ।
ऊपर झुके एक सपने की पलकों से
गर्म आँसू की एक बूँद
मेरे चेहरे पर।
-- शशि प्रकाश
(जनवरी,1998)
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