Thursday, May 18, 2017





जो मशहूर होने के लिए मरे जा रहे हैं वे बौने क़द के लेखक हैं | अंतरराष्ट्रीय ख्याति की लिप्सा में अपना कई भाषाओं में अनुवाद कराने का जुगाड़ भिड़ाते हैं और फिर खुद ही उसका प्रचार करते हैं | जो पद-पीठ-पुरस्कार के जरिए प्रसिद्धि चाहते हैं वे तो जोकर होते हैं | देखिए मारखेज शोहरत के बारे में क्या कहते हैं :
"अगर कोई लेखक मशहूर होने के बाद लेखक बने रहना चाहता है तो उसे चाहिए कि शोहरत से अपनी हिफाज़त करना सीखे | मैं यह कहते हुए झिझकता हूँ-- कि कहने से यह झूठी बात लगती है-- कि दरअसल मेरी किताबें मेरे मरने के बाद ही छपतीं तो बेहतर होता, ताकि मैं इस शोहरत और महान लेखक कहाए जाने के जंजाल से बच जाता | मेरे मामले में शोहरत का एकमात्र फ़ायदा यह था कि मैंने इसका राजनीतिक इस्तेमाल किया | वरना शोहरत बड़ी यातनादायी चीज़ है | मुसीबत यह है कि आप हर घड़ी चौबीसों घंटे मशहूर रहते हैं, यह नहीं कि 'अच्छा, अब कल या परसों तक मैं शोहरत से मुक्त रहूँगा', या बटन दबाकर नहीं कह सकते कि 'यहाँ पर या अभी मशहूर नहीं होना चाहता' |"

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