Thursday, May 18, 2017

नयी इबारत के बारे में




-- कात्‍यायनी

लगभग मृत्‍यु-सा
होता है
शान्‍त-भयावह
स्‍लेट का स्‍याह कालापन,
इबारत
जब मिटा दी गयी होती है।
झाँकती होती हैं
मगर फिर भी पीछे से
मिटाये गये
अक्षरों-शब्‍दों की छायाएँ
स्‍मृतियों की तरह।
हमेशा ही फिर से
लिखी जाती है
इबारत
काले समय जैसी स्‍लेट की छाती पर
चमकती हुई
पहले से बेहतर
और सुन्‍दर-सुगढ़।
न हो यदि ऐसा,
अप्रासंगिक हो जायेगी स्‍लेट
जैसे कि
समय,
जीवन,
यह देश,
या कि यह पूरी दुनिया।

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