Wednesday, May 24, 2017





शोषण से मुक्त श्रम समाजवाद के अंतर्गत समस्त आत्मिक (और सौंदर्यात्मक ) सृजनशीलता का स्रोत बन जाता है । मार्क्स और एंगेल्स लक्षित करते हैं कि ठीक सच्ची आर्थिक , राजनीतिक तथा आत्मिक स्वतन्त्रता की परिस्थितियों में ही मनुष्य की सृजनशील योग्यता का विकास पूर्ण हो सकता है । केवल सर्वहारा क्रांति ही कलात्मक संस्कृति के विकास में अनंत प्रगति की असीम संभावना प्रदान करती है । सर्वहारा वर्ग का महान ऐतिहासिक ध्येय संसार के कम्युनिस्ट पुनर्निर्माण में निहित है । सर्वहारा वर्ग में ही मार्क्स तथा एंगेल्स ने वह सामाजिक शक्ति देखी थी , जो विश्व को बदल सकती है , अर्थव्यवस्था तथा राजनीति के ही नहीं , वरन संस्कृति के क्षेत्र में भी प्रगति सुनिश्चित कर सकती है , जो मानव जाति के उच्च नैतिक तथा सौंदर्यात्मक मूल्यों को पूर्णतः मूर्त रूप देने के लिए आवश्यक अवस्थाएँ निर्मित कर सकती है ।
-- बी. क्रिलोव

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