Thursday, May 18, 2017



"...इतना सच जान पड़ता है कि भीष्म में कर्तव्य-अकर्तव्य के निर्णय में कहीं कोई कमजोरी थी | वह उचित अवसर पर उचित निर्णय नहीं ले पाते थे | यद्यपि वह जानते बहुत थे , तथापि कुछ निर्णय नहीं ले पाते थे | ... आजकल भी ऐसे विद्वान मिल जाएंगे , जो जानते बहुत हैं , करते कुछ भी नहीं | करनेवाला इतिहास-निर्माता होता है , सिर्फ सोचते रहने वाला इतिहास के भयंकर रथचक्र के नीचे पिस जाता है | इतिहास का रथ वह हाँकता है, जो सोचता है और सोचे को करता भी है | "
--- हजारीप्रसाद द्विवेदी ( भीष्म को क्षमा नहीं किया गया ! )

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