Wednesday, May 24, 2017




" जिसतरह दर्शन सर्वहारा में अपना भौतिक अस्त्र पाता है , उसीतरह सर्वहारा दर्शन में अपना आत्मिक अस्त्र पाता है और जैसे ही जनसाधारण की अछूती धरती पर विचार का तड़ित-आघात होगा , वैसे ही जर्मनों की मुक्ति हो जाएगी और वे मनुष्य बन जाएंगे । "
--कार्ल मार्क्स
( 'हेगेल के विधि-दर्शन की आलोचना का एक प्रयास' )

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