Wednesday, May 24, 2017



कार्ल मार्क्स के199वें जन्मदिन (5 मई) और 'पूँजी' के प्रकाशन की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर
"पूँजी का एकाधिकार उत्पादन की उस प्रणाली के लिए एक बंधन बन जाता है , जो इस एकाधिकार के साथ-साथ और उसके अंतर्गत जन्मी है और फूली-फली है । उत्पादन के साधनों का केन्द्रीकरण और श्रम का समाजीकरण अन्त में एक ऐसे बिन्दु पर पहुँच जाते हैं , जहाँ वे अपने पूँजीवादी खोल के भीतर नहीं रह सकते । खोल फट जाता है । पूँजीवादी निजी स्वामित्व की मौत की घंटी बज उठती है । सम्पत्ति-हरण करने वालों की सम्पत्ति का हरण हो जाता है ।"
--कार्ल मार्क्स ('पूँजी' , खंड - एक)

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