Thursday, May 18, 2017




सोशल मीडिया पर दारूकुट्टे, लंपट छद्मवामी गिरोहों की धमाचौकड़ी, धींगामुश्ती से अक्सर कोहराम मचता रहता है | कौन हैं ये लोग? क्या इनके हमप्याला-हमनिवाला होनेवाले "शरीफ़" वाम बुद्धिजीवियों-लेखकों के दामन भी दागदार नहीं माने जाने चाहिए?
इन लंपट वामियों में कुछ एन जी ओ वाले होते हैं, कुछ सरकारी अधिकारी, कुछ पत्रकार,और कुछ पढ़ने-पढ़ाने-शोध करने वाले | क की घटिया-घिनौनी लंपटई का पर्दाफाश होता है तो ख उसका बचाव करने आता है और फिर ग उसपर हमला बोल देता है और ख की पुरानी लंपटई के किस्से लेकर बैठ जाता है | फिर ख ग को उसकी कमीनगियों की याद दिलाने लगता है | सड़क के दारूकुट्टों की इस लड़ाई मे घ,ङ,च,छ,ज,झ आदि भी कूद पड़ते हैं और त,थ,द,ध,न,ट,ठ,ड,ढ,णआदि भी मजे लेते रहते हैं |
ये सभी अपने को वाम बुद्धिजीवी कहते हैं, हिंदुत्ववाद के विरुद्ध रस्मी कार्रवाइयों में शिरकत करते हैं, नव-उदारवादी नीतियों पर लेख लिखते हैं और वक़्त-वक़्त पर वाम धारा के ऐक्टिविस्टो को नसीहतें और झाड़ भी पिलाते रहते हैं | अब तो शक होता है कि ये छद्मवामी कहीं फासिस्टों के 'ट्रोज़ेन हॉर्स' तो नहीं हैं?
वाम धारा के जो जेनुइन साथी संजीदा ज़मीनी और बौद्धिक सरगर्मियों के पक्ष में हैं, उन्हें इन छद्मवामी पतित जमातों से न सिर्फ़ किनारा करना होगा, बल्कि इन्हें साहसपूर्वक बेनक़ाब करना होगा, इन्हें अलग-थलग करना होगा | अन्यथा, उनकी अवसरवादी चालाकी और अनैतिकता भी अक्षम्य मानी जाएगी |

No comments:

Post a Comment