Thursday, May 18, 2017





” इस दुनिया में अभी तक वर्ग-हीन कला जैसी कोई चीज नहीं है. कारण ये है कि कोई वर्ग-हीन समाज ही नहीं है. हर work of art यानी कलाकृति सापेक्षिक है और यह वह इंसान से जुड़ी है. अपने नाम के मूल्य मुताबिक हर आर्ट को इंसान की बेहतरी के लिए काम करना ही चाहिए. मैं किसी कठोर थ्योरी में यकीन नहीं करता हूं लेकिन ठीक उसी समय मैं इन तथाकथित ‘महान’ फिल्ममेकर्स को लेकर हैरान हूं, जो मूल रूप से कुछ नहीं बस नौसिखिए हैं और मानवीय रिश्तों के आर्ट का शोर मचाते रहते हैं. अपनी सामाजिक जिम्मेदारी से बचने का ये बहुत चतुर तरीका है. असल में जो भी काम ये करते हैं वो सिर्फ उनकी अपनी सत्ता को फायदा पहुंचाने के लिए होता है. ये लोग इतने पक्षपाती हैं जितना कि कोई हो सकता है लेकिन अपक्षपाती होने का मास्क पहनते हैं. मैं ऐसे आदर्शों से घृणा करता हूं. “
---ऋत्विक घटक

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