Tuesday, September 27, 2016






मनुष्य का ज्ञान व्यवहार की कसौटी के जरिये छलांग भर कर एक नयी मंजिल पर पहुँच जाता है | यह छलांग पहले की छलांग से और ज्यादा महत्वपूर्ण होती है | क्योंकि सिर्फ यही छलांग ज्ञानप्राप्ति की पहली छलांग अर्थात वस्तुगत बाहय जगत को प्रतिबिम्बित करने के दौरान बनने वाले विचारों , सिद्धान्तों , नीतियों , योजनाओं अथवा उपायों के सही होने अथवा गलत होने को साबित करती है | सच्चाई को परखने का दूसरा कोई तरीका नहीं है | यही नहीं , दुनिया का ज्ञान प्राप्त करने का सर्वहारा वर्ग का एकमात्र उद्देश्य है उसे बदल डालना | अक्सर सही ज्ञान की प्राप्ति केवल पदार्थ से चेतना की तरफ जाने और फिर चेतना से पदार्थ की तरफ लौटने की प्रक्रिया को , अर्थात व्यवहार से ज्ञान की तरफ जाने और फिर ज्ञान से व्यवहार की तरफ लौट आने की प्रक्रिया को बार-बार दुहराने से ही होती है | यही मार्क्सवाद का ज्ञान-सिद्धान्त है , द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का ज्ञान-सिद्धान्त है |
---माओ त्से-तुंग ( सही विचार कहाँ से आते हैं ? )

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