Saturday, September 17, 2016



एक के बाद एक, चालीस से अधिक लोग, जो व्‍यापम घोटाले से जुड़े थे या उसका भाण्‍डा फोड़ रहे थे, या तो रहस्‍यमय परिस्थितियों में मृत पाये गये या उनकी हत्‍या कर दी गयी। एक के बाद एक, आरोपियों को जमानत मिलती जा रही है। इसपर एक रहस्‍य-रोमांच भरी हॉलिवुड स्‍टाइल फिल्‍म बन सकती है। क्‍या ख़याल है भक्‍त जनो!
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शाहाबाद डेयरी की मज़दूर बस्‍ती के सरकारी स्‍कूल के कक्षा तीन के एक बच्‍च्‍ो से  शिक्षक ने
डाकू का पर्यायवाची पूछा। बच्‍चे ने बताया: 'डकैत, दस्‍यु, लुटेरा और सरकार ।' शिक्षक ने पूछा: ''सरकार? यह तुम्‍हें किसने बताया?' बच्‍चे ने कहा: 'मेरी माँ हरदम कहती है, सभी सरकारें डाकू हैं, मोदी हो या केजरीवाल ।'

प्रभू जी की कृपा से अब हर रेलवे टिकट पर लिखा होगा कि उसपर कितने रुपये सरकार ने सब्सिडी दी है! बिल्‍कुल ठीक, पर यह नियम सभी जगह लागू करो भाई! हर कारखाने के गेट पर लिखो कि उसे कितनी सरकारी सब्सिडी मिली है। संसद-विधान सभाओं के गेट पर लिखो कि उनकी कैण्‍टीनों को कितनी सब्सिडी मिलती है। हर पूँजीपति के घर, ऑफिस और कार पर यह पोस्‍टर चिपकाओ कि उसने सरकारी बैंकों के कितने अरबों-खरबों रुपये मार लिये हैं। हर सांसद-विधायक‍ के घर-दफ्तर पर बोर्ड लगा होना चाहिए जिसपर उनकी तनख्‍़वाहें, भत्‍ते और कौड़ि‍यों के मोल मिलने वाली बिजली, टेलीफोन, चिकित्‍सा आदि सुविधाओं का ब्‍योरा दर्ज़ होना चाहिए। यही नहीं, अख़बारों में लगातार विज्ञापन देकर यह सब बताया जाना चाहिए कि सरकारों और नौकरशाही का सालाना खर्चा कितना होता है और किसप्रकार लगभग यह सारा खर्च परोक्ष करों का 80 फीसदी हिस्‍सा देने वाली आम जनता उठाती है। सभी चुनावों का खर्चा भी बताया जाना चाहिए। सभी करोड़पति-अरबपतियों की सम्‍पत्ति का ब्‍योरा और सभी नेताओं की सम्‍पत्ति-वृद्धि का ब्‍योरा भी लगातार अख़बारों में विज्ञापन देकर जाहिर करो भाई! आम लोग यदि जान जायें कि सारी सब्सिडी तो उन्‍हीं के पैसे से दी जाती है और जनता की बुनियादी सुविधाओं पर दी जाने वाली सब्सिडी थैलीशाओं को दी जाने वाली सब्सिडी और  छूटों की तुलना में नगण्‍य है, तो पूँजीपतियों की मैनेजिंग कमेटी के दुमकटे कुत्‍तो, वे तुम्‍हारा जैकेट-कुर्ता ही नहीं लँगोटी तक नोच लेंगे।

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