Friday, July 08, 2016





हम आज भी काल्‍पनिक भारत माता का जय निनाद करते जा रहे हैं। भारत मात वस्‍तुत: क्‍या है, यह समझने की चेष्‍टा बहुत कम हो रही है। पूर्व और पश्चिम में जिसप्रकार की जन-जागृति हो रही है, उसे देखकर निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि भारत माता जिस दिन अपने कोटि-कोटि दलित, हीन, निरन्‍न, निर्वस्‍त्र बालकों को लेकर जाग पड़ेगी, उस दिन की हालत कल्‍पना से बाहर होगी। उस दिन के लिए हमें अभी से तैयार रहना चाहि‍ए।
भारतवर्ष क्‍या है? हमें इस बात को अच्‍छी तरह जान लेना चाहिए कि भारतवर्ष उन करोड़ों दलित और मूक जनता से अभिन्‍न है, जिन्‍हें छूने से भी पाप अनुभव किया जाता है।
-- हजारी प्रसाद द्विवेदी, 'अशोक के फूल'(लोकभारती,2008) में शामिल लेख 'प्रायश्चि‍त के फूल', पृ.20-21

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