Saturday, May 14, 2016

विसंगति





कुछ जिम्‍मेदारियाँ हैं
कविता जिन्‍हें पूरा नहीं कर पा रही है।
कुछ विचार हैं
कविता जिन्‍हें बाँध नहीं पा रही है।
कुछ गाँठें हैं
कविता जिन्‍हें खोल नहीं पा रही है।
कुछ स्‍वप्‍न हैं
कविता जिन्‍हें भाख नहीं पा रही है।
कुछ स्‍मृतियाँ हैं
कविता जिन्‍हें छोड़ नहीं पा रही है।
कुछ आगत है
कविता जिसे देख नहीं पा रही है।
कुछ अनुभव है
कविता जिनका समाहार नहीं कर पा रही है।


यही सब कारण हैं
कि तमाम परेशानियों के बावजूद
कविता फिर भी है
इतना सबकुछ कर पाने की
कोशिशों के साथ
अपने अधूरेपन के अहसास के साथ
अक्षमता के बोध के साथ
हमारे इतने निकट।
कविता को पता है
अपने होने की ज़रूरत
और यह भी कि
आने वाले दुनिया को
उसकी और भी अधिक ज़रूरत है।
-- शशि प्रकाश

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