देर रात के राग
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डायरी के नोट्स : जो सोचती हूं उनमें से कुछ ही कहने की हिम्मत है और क्षमता भी
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मेरी कविताई: जीवन की धुनाई, विचारों की कताई, सपनों की बुनाई
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जीवनदृष्टि-इतिहासबोध
Friday, April 15, 2016
आज लेखक अपने व्यक्तित्व को महान बनाकर सारे जनमानस के हितों के लिए गम्भीर नाद कर सकता है। इसके लिए हमें जनता के भावों को समझना होगा। साहित्यकार जनता का जबर्दस्त साथी, साथ ही वह उसका अगुआ भी है और सिपहसालार भी।
-- राहुल सांकृत्यायन
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