Friday, April 15, 2016





जिस जाति की सभ्यता जितनी पुरानी होती है, उसकी मानसिक दासता के बंधन उतने ही अधिक होते हैं। भारत की सभ्यता पुरानी है, इसमें तो शक ही नहीं और इसलिए इसके आगे बढ़ने के रास्ते में रुकावटें भी अधिक हैं। मानसिक दासता प्रगति में सबसे अधिक बाधक होती है। हमारे कष्ट, हमारी आर्थिक, सामाजिक राजनीतिक समस्याएँ इतनी अधिक और इतनी जटिल हैं कि हम तबतक उनका कोई हल सोच नहीं सकते जबतक कि हम साफ-साफ और स्वतंत्रतापूर्वक इनपर सोचने का प्रयत्न न करें।
-- राहुल सांकृत्यायन

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