हिटलर के ज़माने में नात्सी गुण्डा वाहिनियाँ जब यहूदियों, कम्युनिस्टों, ट्रेड यूनियन नेताओं और लेखकों-कलाकारों के घरों पर हमले करती थीं तो हुकूमत चुप रहती थी।
श्रीराम सेने के कर्नाटक राज्य संयोजक सिद्धलिंगा स्वामी ने कल प्रो.के.एस.भगवान और चन्द्रशेखर पाटिल जैसे लेखकों पर निशाना साधते हुए कहा कि लेखक यदि हिन्दू देवताओं का अपमान करना बन्द नहीं करेंगे तो वह उनकी ज़ुबान काट लेंगा।
हिन्दुत्ववादी फासिस्टों की हुकूमत क़ानूनों और निर्देशों के जरिए विज्ञान, इतिहास, और तर्कणा पर धावा बोले हुए है, पुलिस-अर्द्धसैनिक बलों के बूते रहे-सहे जनवाद को भी मटियामेट करके देश को जेलखाना बनाया जा रहा है। और दूसरी ओर दंगाइयों की भीड़ और धर्मान्ध गुण्डा गिरोह सड़कों पर उत्पात मचा रहे हैं।
घरों में दुबककर, चुप रहकर या निवेदन पत्र लिखकर नहीं बच सकते हो भद्रजनों! हालात से असम्पृक्त रहकर कला-चिन्तन, लेखन, चुहलबाजियाँ और चिमगोइयाँ भी करते रहोगे तो लतियाये जाओगे। इतिहास भी तुम्हें लतियायेगा। जो इस पागलपन में शामिल नहीं होगा और प्रतिरोध के लिए एकजुट होकर सड़कों पर नहीं उतरेगा, वह मारा जायेगा। लड़ना ही बचाव की सर्वोत्तम रणनीति है। और सिर्फ बचाव ही क्यों, सोचना तो उससे भी आगे के बारे में होगा।
श्रीराम सेने के कर्नाटक राज्य संयोजक सिद्धलिंगा स्वामी ने कल प्रो.के.एस.भगवान और चन्द्रशेखर पाटिल जैसे लेखकों पर निशाना साधते हुए कहा कि लेखक यदि हिन्दू देवताओं का अपमान करना बन्द नहीं करेंगे तो वह उनकी ज़ुबान काट लेंगा।
हिन्दुत्ववादी फासिस्टों की हुकूमत क़ानूनों और निर्देशों के जरिए विज्ञान, इतिहास, और तर्कणा पर धावा बोले हुए है, पुलिस-अर्द्धसैनिक बलों के बूते रहे-सहे जनवाद को भी मटियामेट करके देश को जेलखाना बनाया जा रहा है। और दूसरी ओर दंगाइयों की भीड़ और धर्मान्ध गुण्डा गिरोह सड़कों पर उत्पात मचा रहे हैं।
घरों में दुबककर, चुप रहकर या निवेदन पत्र लिखकर नहीं बच सकते हो भद्रजनों! हालात से असम्पृक्त रहकर कला-चिन्तन, लेखन, चुहलबाजियाँ और चिमगोइयाँ भी करते रहोगे तो लतियाये जाओगे। इतिहास भी तुम्हें लतियायेगा। जो इस पागलपन में शामिल नहीं होगा और प्रतिरोध के लिए एकजुट होकर सड़कों पर नहीं उतरेगा, वह मारा जायेगा। लड़ना ही बचाव की सर्वोत्तम रणनीति है। और सिर्फ बचाव ही क्यों, सोचना तो उससे भी आगे के बारे में होगा।
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