Saturday, October 03, 2015

बादल राग : एक


निराला

झूम-झूम मृदु गरज-गरज घन घोर!
राग-अमर! अम्‍बर में भर निज रोर!
झर झर झर निर्झर-गिरि-सर में
घर, मरु, तरु-मर्मर, सागर में,
सरित -- तड़ि‍त-गति -- चकित पवन में
मन में, विजन-गहन-कानन में,
आनन- आनन में, रव-घोर -- कठोर --
राग-अमर! अम्‍बर में भर निज रोर!


अरे वर्ष के हर्ष!
बरस तू बरस-बरस रसधार!
पार ले चल तू मुझको,
बहा, दिखा मुझको भी निज
गर्जन-गौरव-संसार!
उथल-पुथल कर हृदय --
मचा हलचल --
चल रे चल, --
मेरे पागल बादल!
धँसता दलदल,
हँसता है नद खल्-खल्
बहता, कहता कुलकुल कलकल कलकल।
देख-देख नाचता हृदय
बहने को महाविकल -- बेकल,
इस मरोर से -- इसी शोर से --
सघन घोर गुरु गहन रोर से
मुझे-गगन का दिखा सघन वह छोर!
राग अमर! अम्‍बर में भर निज रोर!

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