साॅफ्ट पोर्न फिल्मों के कलाकार और संघी कार्यकर्ता ''युधिष्ठिर'' गजेन्द्र चौहान को संस्थान का अध्यक्ष बनाये जाने के फैसले के विरुद्ध एफ.टी.आई.आई. के आन्दोलनरत छात्रों की गिरफ्तारी तमाम संस्कृतिकर्मियों के लिए एक खुली चेतावनी है। मोदी की हिंदुत्ववादी फासिस्ट सरकार कला-साहित्य-संस्कृति और अकादमिक क्षेत्र पर हर कीमत पर संघी वर्चस्व कायम करने पर आमादा है। अब पुलिसिया आतंक और डण्डे के बूते पर असहमति और विरोध की हर आवाज़ को दबाया जा रहा है। आज यदि इसका पुरज़ोर विरोध नहीं किया जायेगा, तो कल इतिहास की अदालत में हम अपराधी के रूप में कटघरे में खड़े किये जायेंगे।
हम सभी जनपक्षधर संस्कृतिकर्मियों और अकादमीशियनों से अपील करते हैं कि मोदी सरकार द्वारा संस्कृति और विचार के क्षेत्र में फासिस्ट तानाशाही लागू करने की साजिशों का पुरज़ोर विरोध करें। हमें सड़कों पर उतरकर अपनी जन-प्रतिबद्धता साबित करनी होगी, अपने जिन्दा होने का सबूत देना होगा। हमें रात के अँधेरे में डोमाजी उस्ताद के साथ जुलूस में शामिल होने वालों को, हत्यारों के दरबार में राग दरबारी सुनाने वालों को, झुकने के लिए कहने पर रेंगने लग जाने वालों को और फासिस्टी सत्ता-संग रास रचाने वाले कुलीन-कलावंतों को अपनी पाँतों से धक्के मारकर बाहर करना होगा। जो तटस्थ और चुप हैं, फासिस्ट उन्हें भी नहीं बख़्शेंगे। और समय इतिहास के पन्नों पर उनके अपराध की साफ-चटख इबारत में इन्दराज़ी तो करेगा ही।
-- कविता कृष्णपल्लवी
No comments:
Post a Comment