Monday, April 13, 2015

कुत्तियत के बारे में कुछ कतरनें

(1) रात के अँधेरे में कुत्‍ते बहुत भौंकते हैं।

(2) रात के अँधेरे में कुत्‍ते मालिकों के प्रति अपनी वफादारी दिखाकर रोटी पाने के लिए भौंकते हैं।

(3) कुत्‍ते भौंक‍कर हर उस शख्‍़स को शक़ के दायरे में लाने की कोशिश करते हैं जो रात में भी सफर कर रहे होते हैं।

(4) कुत्‍ते बड़ी कुत्‍ती चीज़ होते हैं।

(5) कुत्‍ता न सिर्फ शक्‍की होता है, बल्कि शक़ पैदा करने में माहिर होता है। कुत्‍ता कुत्सित कुत्‍सा-प्रचारक होता है।

(6) कुत्‍ता फितरन चोर होता है। चोर उसे चौकीदारी का काम सौंपते हैं।

(7) सूँघना और ताकझाँक करना कुत्‍ते की आदत होती है।

(8) आते-जाते हर खम्‍भे पर टाँग उठाकर पेशाब कर देना कुत्‍ते की असुधारणीय आदत होती है।

(9) कुत्‍ते को जितना भी नहलाओ वह गंदी नाली में लेटने का लालच छोड़ नहीं पाता।

(10) कुत्‍ता मौका मिलते ही काट खाने से या आपका झोला लेकर भाग जाने से बाज नहीं आता।

(11) हड्डी फेंककर किसी भी कुत्‍ते की वफादारी खरीदी जा सकती है।

(12) कुत्‍ता ख़तरा भाँपते ही चित्‍त लेटकर चारो पैर ऊपर उठाकर दाँत-जीभ निकालकर आत्‍मसमर्पण कर देता है।

(13) कुत्‍तों को ट्रेनिंग देकर हुकूमतें खोजी कुत्‍तों के दस्‍ते बनाती हैं।

(14) पूँछ काट देने पर भी कुत्‍ता कुत्‍ता ही रहता है।

(15a)वास्‍तविक दुनिया से लेकर आभासी दुनिया तक -- कुत्‍ता संस्‍कृति का प्रभाव आच्‍छादनकारी है।

(15) कुत्‍तों को भ्रम होता है कि हजारों सालों से आदमी के साथ रहते हुए वे कुछ आदमी बन गये हैं। हक़ीक़त यह है कि बहुतेरे आदमी कुत्‍ता बन गये हैं।

(16) कुत्‍ता-गुणों को अपना चुके आदमियों से भी उतना ही होशियार रहना चाहिए जितना कुत्‍ते से।

(17) लूशुन की नसीहत पर गौर करते हुए पानी में गिरे कुत्‍ते पर भी दया नहीं करनी चाहिए। कुत्‍ता हर हाल में डण्‍डे का ही हक़दार होता है।

(18) कुत्‍ता और कुत्‍ता-गुणों को अपना चुके इंसानों से हमदर्दी मानवतावाद नहीं बल्कि श्‍वानतावाद है।

-- कविता कृष्‍णपल्‍लवी

1 comment:

  1. Interesting Points..................

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