Saturday, December 06, 2014





चाहे वह मज़दूरों की हड्डियाँ निचोड़ने वाली घोर जनविरोधी आर्थिक नीतियों का सवाल हो, चाहे एक के बाद एक दमनकारी काले कानून लागू करने और पुलिस प्रशासन को दमन की खुली छूट देने का सवाल हो, या फिर शिक्षा के निजीकरण, कैम्‍पसों को निरंकुश नौकरशाही के हवाले करने, छात्रों का उत्‍पीड़न करने और फीसों में मनमानी अंधाधुंध बढ़ोत्‍तरी करने का सवाल हो, कांग्रेसी भाजपाइयों से एक कदम भी पीछे नहीं रहना चाहते। देशी-विदेशी पूँजीपतियों के सामने वे हर कीमत पर अपनी कुत्‍ते जैसी वफादारी साबित करने के लिए सबकुछ कर गुजरने को आमादा हैं। हिमाचल प्रदेश में वीरभद्र सिंह की कांग्रेसी सरकार ने उच्‍च शिक्षा की फीसों में एक मुश्‍त सौ फीसदी (यानी दुगुना) से लेकर 2000 फीसदी (यानी 40गुना) तक की बढ़ोत्‍तरी की घोषणा की है। साथ ही, उसने छात्रसंघ चुनावों पर रोक लगाकर छात्रसंघों को प्रतिबंधित भी कर दिया है। कैम्‍पसों में नौकरशाही के आतंक राज का माहौल बनाया जा रहा है ताकि सरकारी अंधेरगर्दियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले छात्रों के जुबानों पर ताले जड़े जा सकें।
छात्र-युवा आन्‍दोलन की क्रांतिकारी धार फिलहाल कुण्ठित हो गयी है। इस स्थिति का शासक वर्ग भरपूर फायदा उठा रहा है। जो कथित वामपंथी छात्र संगठन हैं, वे दिल्‍ली और कुछ अन्‍य महानगरों के कैम्‍पसों में ही सिमटे हुए हवाई गोले छोड़ने और रस्‍मी कार्रवाइयों में व्‍यस्‍त हैं। ज्‍वलंत सामाजिक मुद्दों और शिक्षा नीति के व्‍यापक प्रश्‍नों को उठाते हुए सड़कों पर उतरने की नये सिरे से तैयारी करनी होगी। क्रांतिकारी छात्र-युवा आंदोलन की एक नयी शुरुआत बेहद ज़रूरी है।

कविता कृष्‍णपल्‍लवी

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