Wednesday, September 24, 2014

धुँआधार जारी है संघ परिवार का जहरीला फासिस्‍टी अभियान




--‍कविता कृष्‍णपल्‍लवी

रावण अपने दसों मुँहों से एक साथ एक ही बात बोलता था, लेकिन संघ परिवार का रावण अपने दर्जनों मुँहों से अलग-अलग बातें बोलता है। असल बात दरअसल एक होती है, बाकी  बातें जनता को भरमाने-बरगलाने के लिए होती हैं।
नरेंद्र मोदी लाल किले से, देश के ''विकास'' की खातिर दस वर्षों तक (दस वर्षों तक ही क्‍यों?) साम्‍प्रदायिक अशान्ति और तनाव से दूर रहने की अपील करते हैं। फिर वह भारतीय मुसलमानों को देश के लिए जीने और मरने की बात कहते हुए उनकी देशभक्ति को असंदिग्‍ध भी बताते हैं। दूसरी ओर गत विधान सभा उपचुनावों से पहले उत्‍तर प्रदेश में 'लव जिहाद' का शगूफा उछाला जाता है और तरह-तरह से साम्‍प्रदायिक तनाव भड़काने की कोशिश की जाती है। मुँह खोलते ही साम्‍प्रदायिक जहर का फौव्‍वारा छोड़ने वाले योगी आदित्‍यनाथ को  मनमानी करने की खुली छूट दे दी जाती है। भाजपा हालाँकि साम्‍प्रदायिकता के कार्ड से अपनी चुनावी गोट लाल नहीं कर पायी, लेकिन इस बात के स्‍पष्‍ट संकेत हैं कि मोदी की पतंग जमीन पर उतरने की सच्‍चाई को भाँपकर हरियाणा और महाराष्‍ट्र के विधान सभा चुनावों में भी वह साम्‍प्रदायिक जहर फैलाने की रणनीति का ही भरपूर इस्‍तेमाल करेगी। इसीलिए, 'लव जिहाद' के  प्रेत को लगातार जगाये रखा गया है। अब इन्‍दौर की भाजपा विधायक और मध्‍य प्रदेश भाजपा की उपाध्‍यक्ष उषा ठाकुर ने 'लव जिहाद' को रोकने के लिए गरबा समारोहों में मुसलमान युवकों के शामिल होने पर प्रतिबंध की माँग करते हुए अपने कार्यकर्ताओं को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि मुसलमान युवक गरबा आयोजनों में घुसने न पायें। इन्‍दौर और उज्‍जैन के स्‍थानीय प्रशासन ने भी यह निर्देश जारी कर दिया है कि गरबा आयोजक फोटो पहचान पत्र देखकर ही लोगों को प्रवेश करने दें। दरअसल मुद्दा यह है ही नहीं कि गरबा में कितने मुस्लिक युवक शामिल होते हैं और क्‍या वाकई उनका उद्देश्‍य हिन्‍दू लडकियों को ''बहलाना-फुसलाना'' होता है! भाजपा का असली मकसद ऐसा हर मुद्दा उछालना और ऐसी हर अफवाह फैलाना है जिससे धार्मिक अल्‍पसंख्‍यकों का सामाजिक पार्थक्‍य बढ़े और साम्‍प्रदायिक ध्रुवीकरण तीखा से तीखा होता जाये। इसीलिए उषा ठाकुर ने 'वन्‍दे मातरम' गाने का पुराना मुद्दा भी फिर से उछाला है कि मुसलमानों की वजह से 'वन्‍दे मातरम' का वह हिस्‍सा नहीं गाया जाता है जिसमें माँ दुर्गा का उल्‍लेख आता है, क्‍योंकि मुसलमान बुतपरस्‍ती में यकीन नहीं करते।
दरअसल, संघ परिवार की रणनीति ही यही है कि केन्‍द्र में मोदी लगातार विकास के लोकरंजक नारे उछालते रहें और संघ परिवार के सभी अनुषंगी संगठन एवं दूसरी-तीसरी कतारों के भाजपा नेता जमीनी स्‍तर पर सघन कार्रवाई करके साम्‍प्रदायिक तनाव को तथा धार्मिक अल्‍पसंख्‍यकों के पार्थक्‍य को ज्‍यादा से ज्‍यादा बढ़ाते रहें, देश के राजनीतिक-सामाजिक स्‍पेस पर हिन्‍दुत्‍ववादी कट्टरपंथ ज्‍यादा से ज्‍यादा क्षेत्रफल में स्‍थापित किया जाये तथा धार्मिक अल्‍पसंख्‍यकों की दोयम दर्जे की नागरिकता जैसी स्थिति को पुख्‍ता और मुकम्मिल बना दिया जाये। संघ परिवार के इस 'कम्‍युनल ओवरड्राइव' पर और देश के विभिन्‍न राज्‍यों में जारी संघ परिवार की मुहिम पर 'फ्रण्‍टलाइन' पत्रिका ने अपने ताजा अंक (3अक्‍टूबर, 2014) में काफी जरूरी और पठनीय सामग्री प्रकाशित की है। इसे अवश्‍य पढ़ा जाना  चाहिए।

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