Wednesday, September 17, 2014

लव के खिलाफ़ हिन्‍दुत्‍व के जेहादी : धार्मिक अल्‍पसंख्‍यकों और स्त्रियों की आज़ादी पर एक साथ हमला




-- कविता कृष्‍णपल्‍लवी

औपचारिक तौर पर भाजपा ने उ.प्र. के विधान सभा उपचुनावों में 'लव जेहाद' को चुनावी मुद्दा बनाने की घोषणा भले न की हो, ज़मीनी हकीक़त यह है कि पूरे उत्‍तर प्रदेश में नोएडा से लेकर पूर्वी उत्‍तर प्रदेश तक भाजपा नेता 'लव जेहाद' को ही मुद्दा बनाकर आग उगलते दीख रहे हैं। आर.एस.एस. मुखपत्र 'पांचजन्‍य' में 'लव जेहाद' पर लेख छपने के बाद आर.एस.एस.के स्‍वयंसेवक और विहिप के कार्यकर्ता जोर शोर से उन्‍माद भड़काने में लग  गये हैं। पूर्वी उत्‍तर प्रदेश के 35 जिलों में योगी आदित्‍यनाथ की हिन्‍दू युवा वाहिनी अपने उग्रतम तेवर दिखा रही है। योगी ने परसों लखनऊ में रोक के बावजूद रैली की।
इस बीच 'लव जेहाद' और बलात् धर्मान्‍तरण के कई मामले एकदम झूठे साबित हुए हैं। अभी तक हिन्‍दू लड़कियों को बहला-फुसलाकर शादी और धर्मान्‍तरण के किसी संगठित साजिश का एक भी प्रमाण नहीं मिल पाया है। हिन्‍दुत्‍ववादी गुण्‍डे संगठित ढंग से अफवाहें फैलाने के पुराने आजमूदा फासिस्‍ट नुस्‍खे का ही इस्‍तेमाल कर रहे हैं। हिटलर ने यहूदियों के खिलाफ़ ठीक यही तरकीब अपनायी थी। 1920 के दशक में उत्‍तर प्रदेश में भी धार्मिक कट्टरपंथियों ने ठीक ऐसी ही अफवाहें फैलाकर दंगे का माहौल पैदा किया था। 'लव जेहाद' का शिगूफा मुस्लिम आबादी को निशाना बनाने की जितनी बड़ी साजिश है, उतना ही बड़ा हमला यह स्त्रियों की आज़ादी तथा प्रेम और विवाह के मामले में उनके स्‍वतंत्र निर्णय के अधिकार पर भी है। फासिस्‍ट चाहे जिस भी किस्‍म के हों, धार्मिक-नस्‍ली अल्‍पसंख्‍यकों के साथ ही वे स्त्रियों  की आज़ादी के भी हर हाल में घोर शत्रु होते हैं। इस मायने में अल बगदादी और योगी आदित्‍यनाथ,तोगड़ि‍या, मोहन भागवत आदि जैसों की बिरादरी एक ही ठहरती है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता ने बताया कि 'लव जेहाद' को लेकर संघियों द्वारा मचाये जाने वाले शोर और उत्‍पात के बाद पूरे प्रदेश में अन्‍तर्धार्मिक 'सिविल मैरिजेज़' में इतनी अधिक गिरावट आयी है कि गत दो माह में एकाध ऐसे विवाह ही पंजीकृत हुए हैं।
दरअसल मोदी सरकार के 'अच्‍छे दिनों' का गुब्‍बारा सौ दिन बीतते ही पिचककर ज़मीन पर आ बैठा है। कुछ भक्‍त जनों को भले ही भ्रम हो, मोदी और उसके सिपहसालार तो जानते ही हैं कि आने वाले दिनों में रहे-सहे श्रम कानूनों को भी निष्‍प्रभावी बनाने वाले प्रस्‍तावित विधायी सुधारों का, ज़मीन अधिग्रहण के नियम-कानूनों को और अधिक निरंकुश बनाने का तथा विभिन्‍न नवउदारवादी कदमों का जनता पर कितना भयंकर प्रभाव पड़ने वाला है तथा आम जनता पर बेरोजगारी और मँहगाई का कहर कितने बड़े पैमाने पर बरपा होना है! मोदी जानते हैं कि स्‍मार्ट सिटी बनाने और तमाम विकास परियोजनाओं में देशी-विदेशी पूँजी की भारी आवग से साम्राज्‍यवादियों और पूँजीपतियों के अतिरिक्‍त बस ऊपर की दस फीसदी कुलीन मध्‍यवर्गीय आबादी को ही खुशहाली और खुशी मिलेगी, जिसकी भारी कीमत अपनी असहनीय बदहाली से नीचे की अस्‍सी फीसदी मेहनतकश और निम्‍न मध्‍यवर्गीय आबादी चुकायेगी। दमन और दु:ख के सागर में जब ऐश्‍वर्य की द्वीपों पर विलासिता की मीनारें खड़ी की जायेंगी तो उस सागर में असंतोष के ज्‍वार उठेंगे ही और आश्‍चर्य नहीं कि वे कभी सहसा सुनामी की भी शक्‍़ल अख्तियार कर लें। इसी बात से सत्‍ताधारियों का कलेजा काँपता है।
सत्‍ता की रक्‍तपायी आततायी नीतियों के विरुद्ध जनता की जुझारू एकजुटता को रोकने  का सबसे कारगर और चिर‍परिचित नुस्‍खा है उसे जातिगत, साम्‍प्रदायिक, इलाकाई तनाव पैदाकर बाँट देना। इसी का नृशंसतम रूप है साम्‍प्रदायिक तनाव और दंगे भड़काने की फासिस्‍ट साजिश। मोदी मण्‍डली जानती है कि मुंगेरीलाल के सपने दुबारा नहीं बेचे जा सकते। लुभावने नारों की काठ की हाँड़ी दुबारा चूल्‍हा नहीं चढ़ेगी। तब फिर पुराने ढर्रे और चाल पर लौटना ही होगा। राम मंदिर का सिक्‍का थोड़ा घिस गया है। इसलिए इसबार 'लव जेहाद' के भड़काऊ मुद्दे को हवा दिया गया है। मकसद सिर्फ एक है। वह यह कि जगह-जगह तनाव और दंगे भड़काकर पूरे देश का एक सुनिश्चित उच्‍च साम्‍प्रदायिेक तापमान बनाये रखा जाये ताकि आने वाले वर्षों में विभिन्‍न राज्‍यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा की चुनावी गोट लाल होती  रहे, और उससे भी बढ़कर यह कि नवउदारवादी नीतियों पर अमल के विनाशकारी परिणामों के विरुद्ध जनता की जुझारू एकजुटता के संगठित होने की प्रक्रिया को साम्‍प्रदायिक ध्रुवीकरण की साजिशों द्वारा विसर्जित कर दिया जाये।

1 comment:

  1. जो भी हो हम तो आपके लेख प्रवाहमयी भाषा -शैली के कारण पढ़ते हैं !

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