धरती और उसके लोग
--यानिना देगुतिते
हमारे लिए अपरिहार्य हो तुम रोटी की तरह,
अनवरत जीवन का एक आसमानी नीला झरना,
भूर्ज और सरू के लट्ठों से बना एक सायबान,
तुम हो हमारे लिए एक माँ और एक बच्चे की तरह।
और हम चूमते हैं तुम्हें बार-बार
और हम तुम्हें कोसते हैं,
किस कदर निष्ठुर हो जाते हैं हम
और कितना सहृदय तुम्हारे प्रति...
हम तुम्हारी धूल हैं, हम हैं तुम्हारी आत्मा, तुम्हारा शरीर
बीसवीं सदी के तमाम निशानात लिये हुए।
हम हैं तुम्हारी सजीव खुशी, तुम्हारा सजीव दु:ख,
हम हैं तुम्हारा सम्मान, और तुम्हारा अपयश भी...
सेब की मंजरियों की चादर में लिपटी हुई
और रोटी और शहद के भार से लदी हुई
तुम उड़ रही हो सूरज की ओर
जहाँ तुम पहुँच नहीं सकती लेकिन
पहुँचेंगे उस तक हम -----
तुम्हारी बेचैन धूल, तुम्हारी आत्मा...
.... तुम, ओ धरती, एक शाश्वत गीत हो
और एक रहस्य हो हमारे लिए
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इतवार तक इन्तज़ार
--जुदिता वैस्युनाइते
इतवार तक इन्तज़ार करें।अपनी रोटी पर हम चुपड़ेंगे कुछ चुम्बन और ताज़ा मक्खन,
ओनेन व्यग्रता से पढ़ेगा सर्कस के विज्ञापन,
रोमांच की तलाश करते शरारती बच्चों की तरह
हम डोलेंगे इस शोर-शराबे से भरे, धूप में नहाये,
प्रफुल्लचित्त शहर में यहाँ-वहाँ।
दोपहर को दांतों के बीच रेत की मानिन्द महसूस करते हुए
हम भर लेंगे नारंगी बियर से अपने गिलास
और हालांकि खदबदाता रहेगा लोगों से भरा हुआ शराबखाना,
हम सटकर बैठे रहेंगे इत्मीनान से भाइयों की तरह।
पुल, खम्भे, गुम्बद उड़ेंगे एक साथ मिलते हुए,
लेकिन हम भूल जायेंगे कि समय भी उड़ रहा है...
इतवार तक इन्तज़ार करें।
सात बत्तियाँ ढह पड़ेंगी छनकते हुए
इसके पहले कि चमकीली पन्नियों के रंग वाला आकाश
कर दे भोर का ऐलान।
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हरेपन की चाहत
--मार्सेलियस मार्तिनाइतिस
प्यार की अदम्य चाहत से भर उठा हूँ मैं
बेशक, जैसे कि एक पेड़ को चाहत होती है बसन्त की
और बुखार से तपते होठों को
पानी की।
सभी प्रेमी
आज की रात
दुहरा रहे हैं वहीं मधुर शब्द...
घूम रहा हूँ मैं भी इधर-उधर अपनी पुरुष-सुलभ कामनाओं के साथ।
आदी नहीं हुआ हूँ बेवफाई का।
पेड़ों का हरापन झरनों की तरह
गिरता है फुटपाथ पर
भूर्ज और नींबू के पेड़ खड़े हैं
एक-दूसरे से सटे हुए, आलिंगनबद्ध।
रास्ते पर दिखती हैं दो आकृतियाँ
नरमी से थाम्हे एक-दूसरे का हाथ...
अजनबियों की चमकती आँखों से
मैं चुरा लेता हूँ एक जानी-पहचानी खुशी।
वह कोमलता से सहलाता है उसके बाल
और फुसफुसाता है
कुछ अर्थहीन
शब्द...
प्यार की अदम्य चाहत से भर उठा हूँ मैं...
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