Saturday, March 08, 2014

तिलचट्टे


--येव्‍तुशेंको 

(येव्‍तुशेंको की यह कविता समाजवादी समाज को अंदर से विकृत और खोखला बना रहे नये बुर्जुआ तत्‍वों को निशाना बनाती है। ऐसे ही तिलचट्टे इससमय कम्‍युनिस्‍ट आंदोलन में भी घुस आये हैं -- तरह-तरह के एन.जी.ओ.-पंथी, ऐय्याश बकवासी बुद्धिजीवी, सुधारवादी और सामाजिक जनवादी। इन नये अर्थ-सन्‍दर्भों में इस कविता को पढ़ना दिलचस्‍प होगा। -- कविता कृष्‍णपल्‍लवी)


अट्टालिका में तिलचट्टे --
चारो ओर भगदड़
पड़े चुपचाप तिलचट्टे।
ईश्‍वर निराश, मास्‍को परिषद हताश,
एडमिरल, बैले नर्तकियाँ,
परमाणु, वैज्ञानिक, कवि
मुँह ढाँप सो गये
बचने की जगह नहीं।
मैं रचता था सुन्‍दर गीत --
मेरा श्रम, कि
गंदी नाली से निकल आया
एक तिलचट्टा।
जीकिना गाने लगी
निकल पड़ी संगीत मंडली
तिलचट्टों की,
संगीतकार बोगोस्‍लोव्‍स्‍की ने उठाया
एकार्डियन
कि उछल आये कुंजीफलक पर
चिकने, भूरे भूत...
सर्वाहारी, शांत तिलचट्टे,
जूठे पात्रों के अन्‍वेषक
कला मर्मज्ञ
भित्तिचित्रों की छानबीन करते।
मास्‍को नदी पर नवनिर्मित
अट्टालिका में
चले आये
किस बु‍ढ़ि‍या के संदूक से?
धमकी, मिन्‍नत विफल।
आजन्‍म, घुसपैठिये हैं ये।
कथानक हैं ये,
सत्‍य के लिए बलिदान को प्रस्‍तुत।
कैसी चिकनाहट और चमक...
सावधान, ये हैं तिलचट्टे --
प्‍लैगिएरिस्‍ट -- सब हजम कर जाते --
कोई भी दवा छिड़किये,
कविता पाठ करते
तिलचट्टे, मूँछे ताने।
रेस्‍तराँ में नाच-गान कि
निकल आयी छिद्रों से वानर सेना,
नाच का पागलपन, जिप्‍सी संगीत
सब समाहित तिलचट्टों में --
माइक से निकले मेहमान।
अट्टालिका की सफाई करनी है,
तिलचट्टों की दवाई करनी है।
अंतरिक्षयान के कोने में मिला
तिलचट्टा,
सब धो डालो।
साथियो, दवा अधिक छिड़को।
सब साफ कर डालो।
घुसपैठियों, तिलचट्टों, तिलचट्टेपन को
समाजवाद की अट्टालिका से।

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