Thursday, September 15, 2011

धमकी

अगर फिर मुझसे कहा गया
किसी कलमघसीट मुदर्रिस,
बुद्धि का चंदन घिसने वाले तुंदियल,
भत्‍ताभोगी क्रांतिधर्मी
या किसी थकी-हारी आत्‍मा के साथ
जि़न्‍दगी बिताने को,
तो मैं चुनुंगी
किसी कब्र खोदने वाले को
और किसी अधखुदी कब्र में
रात बिताने के बाद
अगले दिन किसी घुमक्‍कड़ के साथ
दुनिया घूमने निकल जाऊंगी।

-कविता कृष्‍णपल्‍लवी

4 comments:

  1. क़लमघसीट, मुदर्रिस, तुंदियल के साथ व्‍यक्ति गंजा भी होता तो क्‍या बात होती।
    वैसे तो जी, किसी थकी-हारी आत्‍मा के साथ जिंदगी तो छोड़ि‍ए, एक सप्‍ताह भी बिताना कब्रिस्‍तान में डोलने जैसा ही होता है।

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  2. Wow!! This is GOOD! I wish I could be bold like you Kavita.

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  3. समझदारी भरे संकल्प को अभिव्यक्त करती है यह कविता.

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  4. New and totally fresh ............idea.Great

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