देर रात के राग
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डायरी के नोट्स : जो सोचती हूं उनमें से कुछ ही कहने की हिम्मत है और क्षमता भी
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Sunday, June 05, 2011
''जब भी नैतिकता धर्मशास्त्र पर आधारित होगी, जब भी अधिकार किसी दैवी सत्ता पर निर्भर होंगे, तो सबसे अनैतिक, अन्यायपूर्ण, कुख्यात चीजें सही ठहरायी जा सकती हैं और स्थापित की जा सकती हैं।''
- लुडविग फायरबाख़
(जर्मन दार्शनिक, 1804-1872)
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